Monday, 17 October 2016

सिर्फ तीन तलाक ही नहीं, समाज में प्रचलित ये पाँच प्रथाएं भी हैरान करने वाली हैं


भारत में तीन तलाक़ के मुद्दे पर बहस गर्म है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार को तीन तलाक के मुद्दे में दखल न देने को कहा है। सरकार ने तीन तलाक समेत समाज में प्रचलित कई कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए एक प्रश्नावली भरवा रही है। इस प्रश्नावली को यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनाया आयोग लेकर आया जिसे 45 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। भारत में ऐसी कई प्रथाएँ हैं जो हैरान करती हैं। इन प्रथाओं को कानूनी मान्यता तो नहीं है लेकिन समाज में इन्हीं कुछ जगहों पर स्वीकृति मिली हुई है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी ही प्रथाएँ बताते हैं…

1. तीन तलाक़
तीन तलाक मुस्लिमों में आज भी खूब प्रचलित है। तीन तलाक मतलब तलाक-तलाक-तलाक बोल दो और पति-पत्नी के बीच रिश्ता खत्म। यह एक तरह का मौखिक तलाक है जिससे मुस्लिम महिलाओं में भारी असंतोष फैल रहा है। इसके बावजूद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस कानून के रास्ते में ढाल बनकर खड़ा रहना चाहता है।

2. पॉलीगेमी या बहुपत्नी प्रथा
इस प्रथा में एक व्यक्ति एक से अधिक शादियाँ करता है। सिविल मैरिज एक्ट के तहत की गई शादियों में यह बहुपत्नी विवाह गैर कानूनी है। साल 1860 आईपीसी की धारा 494 और 495 के तहत ईसाइयों और 1995 में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हिंदुओं में दूसरी शादी को गैरकानूनी माना गया जिनकी पहली पत्नी जीवित हो। मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से मुस्लिमों को पॉलीगेमी की छूट दी गई है। इससे मुस्लिम महिलाओं में काफी रोष है।

3. प़ॉलियेंडरी यानि बहु-पति प्रथा
एक जमाने में बहु-पत्नी प्रथा की तरह ही बहु-पति प्रथा का भी प्रचलन था। फिलहाल इसका चलन बहुत कम हुआ है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और तिब्बत की सीमा के पास के कुछ इलाकों में ये आज भी दिख जाता है। इस प्रथा की प्रेरणा महाभारत से ली जाती है। कहा जाता है कि एक द्रौपदी के पाँच पति थे। आयोग ने अपनी प्रश्नावली में इस प्रथा के बारे में भी सुझाव माँगे हैं।

4. मुतआ निकाह यानि कुछ महीनों की शादी
ईरान के शिया मुसलमानों में इसका प्रचलन रहा है। ये एक तरह का अल्पकालिक समझौता होता है जिसमें दो या तीन महीने के लिए विवाह किया जाता है। अब इसका चलन कम हो रहा है।

5. मैत्री करार या एक प्रकार का लिव इन रिलेशनशिप
मैत्री प्रथा गुजरात में आज भी प्रचलित है और इसे कानूनी मान्यता भी मिली हुई है। इसमें महिला और पुरुष मजिस्ट्रेट के सामने करार करके एकसाथ रहते हैं। इसमें पुरुष हमेशा शादीशुदा होता है। दोनों कपल को वयस्क होना चाहिए।