कहा गया है जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। प्राचीन काल से ही नारी को ‘गृह देवी’ या ‘गृह लक्ष्मी’ कहा जाता है। सदियों से चली आ रही हमारी परम्परा और प्रथायें विभिन्न प्रकार से विकसित हुई हैं। यह रीति- रिवाज़ हमारे समाज की सामूहिक चेतना का एक अहम हिस्सा हैं। हमारे यहाँ महिलाओं को देवी की तरह माना जाता हैं, पर हम उनके साथ बुरा व्यवहार करने से भी नहीं चूकते। चाहे घर हो या फिर सड़क, महिलायें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। उनके साथ दुर्व्यवहार करते समय किसी को याद नहीं रहता कि हमारे समाज में उन्हें देवी का दर्जा प्राप्त हैं।
महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं से जुड़े सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त किया जाता है। परंतु सशक्तिकरण की इस प्रक्रिया में समाज के पारंपरिक द्रष्टिकोण को बदलना ज़रूरी है, जिसमें महिलाओं की स्थिति को सदा कम माना गया है।
अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं की सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और न्याय के राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला सशक्तिकरण, शारीरिक या मानसिक, सभी स्तरों पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है। नारी का योगदान समाज में सबसे ज़यादा होता है। बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा से लेकर नौकरी तक नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है। अतः नारी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए और उसका सदा सम्मान करना चाहिए।
हमारी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनायें निकाली गयी हैं जिनमें सबसे अहम् योजना है “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” इस योजना का लक्ष्य बेटियों को पढ़ाई के ज़रिये सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है।इस प्रकार सरकार महिलाओं की कल्याण सेवाओं मे जागृत एवं सुधार ला पाएगी। यह योजना न केवल लड़कियों बल्कि पूरे समाज के लिए एक वरदान है।
सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए उनके महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की ज़रुरत है और साथ ही हमें महिलाओं के प्रति हमारी सोच को भी विकसित करना होगा। देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद ज़रूरी है। यह देश के विकास के लक्ष्य को पाने के लिए एक आवश्यक कदम है। बस ज़रुरत है कि हम महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए आवाज़ उठायें और और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।
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