मनुष्य के जीवन में आरंभ से ही खेलों का महत्व रहा हैं। खेलों के बिना मनुष्य अधूरा हैं। प्राचीन समय में खेल ही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। आज के युग में मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं परंतु खेलों का महत्व वैसा का वैसा ही बना हुआ है। खेलों से जहाँ स्वास्थ्य ठीक रहता है, वहीँ मनोरंजन भी होता हैं। खेल अनेक प्रकार के होते हैं तथा इनका आयोजन चलता ही रहता हैं। लेकिन एक खेल आयोजन ऐसा हैं जिसे संसार भर का सबसे बड़ा खेल आयोजन माना हैं जिसका नाम है 'ओलंपिक'। 'ओलंपिक' खेल के अंतर्गत बहुत सारे खेल आते हैं, इसमें दुनिया भर के चुने हुए खिलाडी ही भाग लेते हैं। इन खेलों में अनेक प्रतियोगिताएँ होती हैं। ओलंपिक खेल आज भी उतने ही प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण हैं जितना कि वह प्रारंभिक वर्षों में हुआ करते थे। इनमें भाग लेना और कोई स्थान प्राप्त करना सबसे बड़े सम्मान व गौरव की बात होती है। जो देश जितने अधिक पदक (मेडल्स) जीतता है वह देश उतना महान और लोकप्रिय माना जाता है। यह खेल हर चार वर्षों के अंतराल में आयोजित होता है, जिसमें पूरे विश्व के विभिन्न देश विभिन्न खेलों में भाग लेते हैं।
ओलंपिक ध्वज पर आपस में पिरोए हुए पाँच रिंग्स मूल रूप से पाँचों महाद्वीपों की मित्रतापूर्ण एकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब ये अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक हैं। इन रिंग्स के नीले, पीले, काले, हरे तथा लाल रंग उन रंगों के सूचक हैं, जो विभिन्न दलों के ध्वजों में होते हैं एवं सफ़ेद पृष्टभूमि 'शांति' का प्रतीक है।
भारत देश भी आज़ादी के पूर्व से ही ओलंपिक खेलों में प्रतिभागी होता रहा हैं। ओलंपिक खेलों के साथ भारत की सहभागिता उस समय प्रारम्भ हुई जब यह ब्रिटिश शासन की गुलामी में था। भारत के राष्ट्रीय खेल 'हॉकी' ने वर्ष 1928 से 1956 की अवधि में लगातार छः ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाए हैं। उस समय पूरे विश्व में भारतीय हॉकी को शीर्ष स्थान प्राप्त था। भारतीय खिलाडियों ने ओलंपिक खेलों की कई प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें तीरंदाजी, हॉकी, फुटबॉल, कुश्ती, बैडमिंटन, टेनिस, एथलेटिक्स आदि प्रमुख हैं। आज तक के ओलंपिक खेलों में भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष 2012 मेँ लंदन में आयोजित ओलंपिक खेलों में किया था। भारत ने लंदन ओलंपिक खेलों में 2 रजत तथा 4 कांस्य पदक प्राप्त किये। भारत में केंद्र सरकार द्वारा एक भारतीय ओलंपिक संगठन की स्थापना की हैं, जो भारतीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं।
भारत का ओलंपिक खेलों में अन्य देशों की तुलना में प्रदर्शन अच्छा नहीं माना जा सकता हैं। चीन, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका जैसे देशों के पदकों की संख्या 100 से अधिक रहती हैं। ओलंपिक खेलों में भारत के पिछड़ेपन के कई कारण हैं। हमें प्रोत्साहन और बढ़ावा देने की बहुत आयश्यकता हैं। भारतीय खिलाडियों की ओलंपिक खेलों में भाग लेने की सबसे बड़ी चुनौती उनके वित्तीय मामलों तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उलझना होता है। भारतीय खिलाड़ियों को जो एशियाड या अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें भारत सरकार को उचित प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण भी प्रदान करना चाहिए तथा समिति को निष्पक्ष तौर पर कार्य करना चाहिए, ताकि खिलाडी ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर पाए।
भारत में सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों की कमी नहीं है, अभाव है तो केवल उनकी प्रतिभाओं को पहचान सकने की और उन्हें बेहतर मंच प्रदान करने की। भारत देश में खेल प्रतिभाओं की संख्या अधिक है, उन्हें तराशने और उचित प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, ओलंपिक खेलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारत शीर्ष स्थान अवश्य प्राप्त कर सकता हैं।
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