Friday, 12 August 2016

विजय रूपानी ने ली गुजरात सीएम पद की शपथ, कैबिनेट में 25 मंत्री शामिल


गुजरात के 16 वें मुख्यमंत्री के तौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय रूपानी ने मुख्यमंत्री के तौर पर रविवार को गांधीनगर में शपथ ली। यहां महात्मा मंदिर में आयोजित समारोह में राज्यपाल ओपी कोहली ने रूपानी के अलावा उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल तथा कैबिनेट स्तर के सात अन्य मंत्रियों और राज्य स्तर के 16 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। विजय रूपानी ने अपनी कैबिनेट में कुल 25 मंत्रियों को शामिल किया। कैबिनेट में जो 25 मंत्री शामिल किए गए हैं, उनमें से 8 पटेल हैं। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी शामिल हैं। मंत्रिमंडल में 8 पटेल नेताओं के अलावा, 14 जनरल कैटेगरी के विधायक हैं, जबकि 7 ओबीसी, 3 एसटी और 1 अनुसूचित जाति के नेता हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन सरकार के 9 मंत्रियों की छुटटी हो गई, वहीं 9 विधायक पहली बार मंत्री बने।  विजय रूपानी के अलावा नितिन पटेल का नाम भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल था लेकिन आखिरकार सियासी समीकरण रूपानी के पक्ष में बने और नितिन पटेल को उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा।
शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, स्थानीय भाजपा सांसद और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल, केद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, पुरूषोत्तम रूपाला और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत कई राजनेता और अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने कुछ दिन पहले ही फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि वह इस पद से हट जाना उपयुक्त समझती हैं क्योंकि वह इस साल नवंबर में 75 की हो जाएंगी। ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री ने केंद्र और राज्यों के मंत्रिमंडल में मंत्रियों के लिए यह ऊपरी उम्र सीमा तय कर रखी है।

आज भारत की अधिकांश आम जनता भले ही विजय  रूपानी का नाम पहली बार सुन रही हों, लेकिन वे बीजेपी के इनर सर्किल के जाने-माने चेहरे हैं। 60 वर्षीय विजय रूपानी जैन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और गुजरात प्रांत में बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे बीजेपी संगठन पर अच्छी पकड़ रखते हैं। वे राजकोट पश्चिम से विधायक रहे हैं । उनके समक्ष गुजरात सरकार में परिवहन, वॉटर सप्लाई और लेबर एंड एम्प्लॉय जैसे मंत्रालय भी रहे हैं । 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के नए मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को बधाई दी। मोदी जी ने ट्वीट कर कहा, ‘विजय रूपानी, नितिनभाई पटेल और अन्य को बधाई। इन्होंने गुजरात की विकास यात्रा को जारी रखने के लिए अपनी नई पारी शुरू की है।मैं आनंदीबेन की समर्पित सेवा की प्रशंसा करता हूं। जिन्होंने कई वर्षों तक गुजरात के लोगों के लिए अथक काम किया।

विश्व का सबसे बड़ा खेल आयोजन – ओलंपिक


मनुष्य के जीवन में आरंभ  से ही खेलों का महत्व रहा हैं। खेलों के बिना मनुष्य अधूरा हैं। प्राचीन समय में खेल ही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। आज के युग में मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं परंतु खेलों का महत्व वैसा का वैसा ही बना हुआ है। खेलों से जहाँ स्वास्थ्य ठीक रहता है, वहीँ मनोरंजन भी होता हैं। खेल अनेक प्रकार के होते हैं तथा इनका आयोजन चलता ही रहता हैं। लेकिन एक खेल आयोजन ऐसा हैं जिसे संसार भर का सबसे बड़ा खेल आयोजन माना हैं जिसका नाम है 'ओलंपिक'।  'ओलंपिक' खेल के अंतर्गत बहुत सारे खेल आते हैं, इसमें दुनिया भर के चुने हुए खिलाडी ही भाग लेते हैं। इन खेलों में अनेक प्रतियोगिताएँ होती हैं। ओलंपिक खेल आज भी उतने ही प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण हैं जितना कि वह प्रारंभिक वर्षों में हुआ करते थे। इनमें भाग लेना और कोई स्थान प्राप्त करना सबसे बड़े सम्मान व गौरव की बात होती है। जो देश  जितने अधिक पदक (मेडल्स) जीतता है वह देश उतना  महान और लोकप्रिय माना जाता है। यह खेल हर चार वर्षों के अंतराल में आयोजित होता है, जिसमें पूरे विश्व के विभिन्न देश विभिन्न खेलों में भाग लेते हैं।

ओलंपिक ध्वज पर आपस में पिरोए हुए पाँच रिंग्स मूल रूप से पाँचों महाद्वीपों की मित्रतापूर्ण एकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब ये अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक हैं। इन रिंग्स  के नीले, पीले, काले, हरे तथा लाल रंग उन रंगों के सूचक हैं, जो विभिन्न दलों के ध्वजों में होते हैं एवं सफ़ेद पृष्टभूमि 'शांति' का प्रतीक है।
भारत देश भी आज़ादी के पूर्व से ही ओलंपिक खेलों में प्रतिभागी होता रहा हैं। ओलंपिक खेलों के साथ भारत की सहभागिता उस समय प्रारम्भ हुई जब यह ब्रिटिश शासन की गुलामी में था। भारत के राष्ट्रीय खेल 'हॉकी' ने वर्ष 1928 से 1956 की अवधि में लगातार छः ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाए हैं। उस समय पूरे विश्व में भारतीय हॉकी को शीर्ष स्थान प्राप्त था।  भारतीय खिलाडियों ने ओलंपिक खेलों की कई प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें तीरंदाजी, हॉकी, फुटबॉल, कुश्ती, बैडमिंटन, टेनिस, एथलेटिक्स आदि प्रमुख हैं। आज तक के ओलंपिक खेलों में भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष 2012 मेँ लंदन में आयोजित ओलंपिक खेलों में किया था। भारत ने लंदन ओलंपिक खेलों में 2 रजत तथा 4 कांस्य पदक प्राप्त किये। भारत में केंद्र सरकार द्वारा एक भारतीय ओलंपिक संगठन की स्थापना की हैं, जो भारतीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं।
भारत का ओलंपिक खेलों में अन्य देशों की तुलना में प्रदर्शन अच्छा नहीं माना जा सकता हैं।  चीन, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका जैसे देशों के पदकों की संख्या 100 से अधिक रहती हैं। ओलंपिक खेलों में भारत के पिछड़ेपन के कई कारण हैं। हमें प्रोत्साहन और बढ़ावा देने की बहुत आयश्यकता हैं। भारतीय खिलाडियों  की ओलंपिक खेलों में भाग लेने की सबसे बड़ी चुनौती उनके वित्तीय मामलों तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उलझना होता है।  भारतीय खिलाड़ियों को जो एशियाड या अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में  अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें भारत सरकार को उचित प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण भी प्रदान करना चाहिए तथा समिति को निष्पक्ष तौर पर कार्य करना चाहिए, ताकि खिलाडी  ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर पाए।

भारत में सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों की कमी नहीं है, अभाव है तो केवल उनकी प्रतिभाओं को पहचान सकने की और उन्हें बेहतर मंच प्रदान करने की। भारत देश में खेल प्रतिभाओं की संख्या अधिक है, उन्हें तराशने और उचित प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, ओलंपिक खेलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारत शीर्ष स्थान अवश्य प्राप्त कर सकता हैं।

Monday, 1 August 2016

अज्ञानता का अंधकार, शिक्षा से होगा सुधार


”तमसो मा ज्योतिर्गमय”अर्थात् अधंकार से मुझे प्रकाश की ओर ले जाओ । यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तम्भ है । प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है, किन्तु  अन्धकार में नहीं। प्रकाश से यहाँ तात्पर्य ज्ञान से है ।इसी प्रकार ज्ञान के द्वारा मनुष्य के अंदर अच्छे विचार प्रवेश करते हैं एवं बुरे विचार बाहर निकलते हैं। शिक्षा का क्षेत्र सीमित न होकर विस्तृत है। व्यक्ति जीवन से लेकर मृत्यु तक शिक्षा का पाठ पढ़ता है। हमारे यहाँ प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलों में होती थी। छात्र पूर्ण शिक्षा ग्रहण करके ही घर वापिस लौटता था।  परंतु समाज के वर्ण व्यवस्था पर आधारित होने के कारण हर वर्ग को शिक्षा पाने का अधिकार प्राप्त नहीं था। धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन आया और वर्ण व्यवस्था का विरोध होने लगा। आज के समय समाज में  शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार बन गया हैँ। भारतीय संविधान के अनुसार हर नागरिक को चाहे वह किसी भी जाति  या धर्म का हो उसे शिक्षा पाने का पूर्ण अधिकार हैँ।

वर्तमान में शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है, सभी अपने  बच्चों को शिक्षित बनना चाहते हैं।  अच्छी शिक्षा के मायने बदल गए हैं, पूर्व के समय  में  शिक्षा के द्वारा चरित्र निर्माण पर जोर दिया जाता था, जिसके लिए धार्मिक और नीति संबंधी शिक्षा दी जाती थी। परंतु आज के समय में  उद्देश्य है - मौलिक रूप से कैरियर (भविष्य ) का निर्माण करना। इसी कारण शिक्षा में ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी का अधिक समावेश हो गया है। आज जगह-जगह सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य होता है। वहां पर शिक्षक भिन्न-भिन्न विषयों की शिक्षा देते हैं।

छात्र जब पढ़ने के लिए जाता है तब उसका मानसिक स्तर धीरे-धीरे ऊपर उठने लगता है। इन सब प्रश्नों का उत्तर हमें शिक्षा के द्वारा मिलता है। जैसे-जैसे हम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारा ज्ञान विस्तृत होता जाता है। ज्ञान का अर्थ केवल शब्द ज्ञान नहीं अपितु अर्थ ज्ञान है।
आज के वैज्ञानिक युग में शिक्षा प्राप्त किये बिना मनुष्य की उन्नति नहीं हो सकती। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैँ परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके।

उत्तम विद्या लीजिए यद्यपि नीच पै होय।
परयौ अपावन ठौर में कंचन तजत न कोय ।।

शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान के प्रकाश से शुभाशुभ, भले बुरे की पहचान कराके आत्म विकास की प्रेरणा देती है। उत्रति का प्रथम क्रम शिक्षा है। उसके अभाव में हम लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति की रक्षा नहीं कर सकते।
शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाने की आवश्यकता है। शिक्षा को जन-जन तक फ़ैलाने के लिए तीव्र प्रयासों की आवश्यकता हैं। इक्कीसवीं सदी में भारत का हर नागरिक शिक्षित हो, इसके लिए सभी जरुरी कदम उठने होंगे। सर्व शिक्षा को प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता हैं।