Tuesday, 7 November 2017

नोटबंदी - एक ऐतिहासिक और सफल निर्णय

सीमा-पार आतंकवाद पर लगाम लगाने, काला धन के चपेट से अर्थव्यवस्था को बचाने और लेन-देन में पारदर्शिता लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व-वाली बीजेपी सरकार ने ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी नोटबंदी का कदम एक साल पहले उठाया था। 500 और 100 के नोटों का चलन एकदम से बंद करने से निःसंदेह कुछ अल्पकालिक तकलीफें हुई है। लेकिन, नोटबंदी की दूरगामी सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। आनेवाले समय में और भी अच्छे नतीजे निश्चित ही उभर कर आएंगे।

पेश है नोटबंदी के कुछ महत्तवपूर्ण परिणाम:

#काले धन पर बड़ा प्रहार

नोटबंदी की वजह से 18 लाख संदिग्ध बैंक खातों की पहचान संभव हुई और 2.89 लाख करोड़ रुपए जांच के दायरे में हैं। यह भी नहीं, एडवांस्ड डाटा एनालिटिक्स के जरिए 5.56 लाख नए मामलों की जांच की जा रही है। इसके अलावा 4.5 लाख से ज्यादा संदिग्ध लेन-देन सामने आया है। नोटबंदी के बाद 16 करोड़ रुपए का काला धन वापस ही नही आया। साथ ही करेंसी सर्कुलेशन में  21% तक की कमी आयी है।

#टैक्स अनुपालन में वृद्धि

नोटबंदी के बाद देश के टैक्स प्रणाली में 56 लाख नए कर-डाटा जुड़ पाए। साथ ही साथ टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में पिछले साल के 9.9% के मुकाबले 24.7% की बढ़ोत्तरी हुई। व्यक्तिगत आय-कर के अग्रिम टैक्स संग्रह में पिछले साल की तुलना में 41.79% का इजाफ़ा हुआ।

#वित्त व्यवस्था की सफाई

3 लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियों का पता लग गया और सरकारी एजेंसियां जांच कर रही है। करीब  2.1 लाख फर्जी कंपनियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। इस के अलावा, 400 से अधिक बेनामी लेन-देन की शिनाख़्त कर, 800 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की सम्पत्ति जब्त की गयी है।

#डिजिटल इंडिया की और अग्रसर
नोटबंदी की वजह से डिजिटल ट्रांसेक्शन में लोगों की जागरूकता बढ़ गयी और 56 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई। नकदी-रहित लेन-देन अब आम बात हो गयी है।

संक्षिप्त में, नोटबंदी देश की आर्थिक ही नहीं, बल्कि समाजिक उन्नति के लिए भी एक बहुत ही प्रभावी कदम था। मोदीजी जैसे शक्तिशाली प्रशासक एवं लोकप्रिय नेता ही ऐसी क्रांतिकारी कदम उठाने में सक्षम है।

Sunday, 15 October 2017

दिवाली में क्या करें और क्या नही!


दिवाली हर्षोल्लास के साथ सारे भारत में ही नहीं कुछ विदेशी देशों में भी मनाते है। ज्यादातर भारतीय घरों में दशहरा खत्म होते ही दिवाली की तैयारी शुरू हो जाती है। केवल घरवाले ही नहीं, स्नेहीजनों, पड़ोसियों और आस-पास के लोगों को भी त्यौहार की खुशियों में शामिल करते हैं।
दिवाली में क्या करें और क्या नही करें के बारे में हम सुनते आए है। फिर भी कुछ खास बिंदुओं पर एहतियात बरतने से खुशनुमा माहौल में कोई अनहोनी घटना घटित होने से बचा सकते हैं।

क्या नही करें 
  • जो पटाका फटा नहीं, उसे दोबारा जलाने की कोशिश न करें। यह हानिकारक हो सकता है। उसको ऐसे ही छोड़ दें और कुछ समय पश्चात पानी डाल कर बुझा दें। 
  • पटाखे और चिंगारी छोड़ने वाली चीज़ें घर के अंदर फोड़ने से बचें। 
  • पटाखे जेब में डाल कर न घूमें। जलाए बगैर भी पटाखें फूट सकते है और खतरनाक परिणाम हो सकतें है। 
  • लोहे और कांच के कंटेनर में पटाखें न जलाए। 
  • पटाखे और फुलझड़ी जलाते वक़्त सिल्क या सिंथेटिक के ज्वलनशील कपडे न पहनें।
क्या करें 

  • लेबल में लिखे निर्देशों का पालन करें। आम तौर पर लोग ऐसे निर्देशों को नज़र अंदाज़ करते हैं। 
  • पटाखे बिल्डिंग, गाड़ी, पेड़-पौधे, सूखे घास जैसे शीघ्र जलनेवाली वस्तुओं से दूर फोड़ें। 
  • ज़रुरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल के लिए पानी की व्यवस्था (बाल्टी या नल) पास में ही करें। 
  • इमरजेंसी किट पास में ही रखें क्यूंकि आप को नहीं पता कब दुर्घटना घटेगी। 
  • हाथ बढ़ाकर और चेहरा हटाकर पटाका जलाएं। 
  • जलने के बाद फुलझड़ी की डंडी कुछ समय के लिए गरम रहती हैं, इसी लिए पानी डाल कर ठंडा करें।  बच्चों को गरम डंडी से दूर रखें। 
  • फर्स्ट ऐड किट पास में ही रखें। फर्स्ट ऐड उपचार के बारे में पहले से समझ होनी चाहिए। 
  • त्वचा जलने पर तुरंत उस भाग से कपड़ा हटाएं और फर्स्ट ऐड उपचार करें। 
  • जख्मी व्यक्ति को पटाखों एवं गरम चीज़ों से दूर ले जाए। 
  • जले पर बटर ग्रीस, पाउडर जैसी चीज़ों का इस्तेमाल मत करो जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। 
  • अगर जला भाग छोटा है तो उस भाग को साफ़ रखें और बैंड-ऐड से 24 घंटो के लिए ढीला ड्रेसिंग करते रहें।

तुरंत चिकित्सा सहायता ले
  • ज्यादा जलने पर। 
  • शरीर के 10% से ज्यादा जलने पर जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। जले पर ठंडा सेकने के बजाय साफ़ मुलायम कपड़ा या टॉवल से ढक दे। 
  • आग, बिजली की तार या सॉकेट या केमिकल से जलने पर।
  • चेहरा, सर, हाथ, जोड़, या आतंरिक अव्यव जलने पर। 
  • जख्म संक्रमक दिखने पर (सूजन, मवाद, जख्म के आस-पास त्वचा लाल होना)।

Saturday, 14 October 2017

सरकार की रोहिंग्या नीति देशहित में

भारत सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों के संदर्भ में जो नीति अपनाई है, वो देश की सुरक्षा की दृष्टि से सराहनीय है। यह केवल असहाय शरणार्थियों की समस्या नहीं है। रोहिंग्यों के साथ भारी तादाद में पाकिस्तान के ISI एजेंट और आतंकवादी सक्रिय है। शरणार्थियों के आड़ में भारत में दंगा-फसाद करना इन आतंकी तत्वों का मकसद है।
कश्मीर में बार-बार सुरक्षाबलों के हाथों मात खाने के बाद पाकिस्तान और उनके ISI अन्य भारत विरोधी विकल्पों को तलाश रहे है। ऐसे में रोहिंग्या शरणार्थियों से घुल-मिलकर एवं रोहिंग्यों को लालच देकर ISI भारत में आतंक फैलाना चाहता है। केंद्र सरकार ने अपनी नीति से विचलित न होकर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर लिया है।
हज़ारों शरणार्थियों के बीच में से असली शरणार्थियों और आतंकवादियों को पहचानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ऐसे में रोहिंग्यों के भारत में प्रवेश रोकने एवं मौजूदा रोहिंग्यों को वापस लेने के लिए म्यांमर सरकार पर दबाव लगाना है। यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है की भारत हमेशा से मानवीयता के आधार पर ज़रूरतमंदों को, दुनिया के किसी भी कोने पर हो, सहायता पहुंचाने में आगे रहा है। लेकिन रोहिंग्या की समस्या को मात्र मानवीयता से जोड़कर देखना सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी चूक होगी। भारत सरकार की नीति का हर देशभक्त नागरिक को समर्थन करना चाहिए।
विश्व में पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है। पाकिस्तान को शेष दुनिया आतंकवाद के वैश्विक राजधानी एवं मुख्य प्रायोजक मान लिया है। इन सब विफलताओं के बावजूद पाकिस्तान सबक नहीं सीख रहा है। पाकिस्तान से यह उम्मीद करना भी बेबुनियाद है। जिस देश की पैदाइश नफरत के बीज से हुई हो, वो नफरत और आतंकवाद ही पैदा कर सकता है।
आईए हम सब भारत सरकार की सख्त रोहिंग्या नीति का समर्थन कर सच्चे देशभक्त नागरिक होने का परिचय दें।

Thursday, 10 August 2017

चीनी - पाकिस्तानी भाई भाई!

चीन, आतंकवादी सरगना एवं JeM (Jaish-e-Mohammed) मुखिया मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का बार बार विरोध करता आया है. चीन का पाकिस्तान प्रेम समझ में आता है। किन्तु अपना भारत विरोध दर्शाने के लिए एक खूंखार आतंकवादी का समर्थन करना समझ से परे है।

चीन के घोर भारत विरोधी रवैये का विकृत रूप पिछले कुछ हफ़्तों से डोकलाम पर दिख रहा है. अपनी सेना को पीछे हटाकर पूर्व स्थिति बरक़रार रखने के बजाय चीन भारत को धमकी दे रहा है। इतना ही नहीं,चीन ने उत्तराखंड या काश्मीर के मार्फ़त भारत में घुसने की धमकी तक दे डाली। ऐसा दुस्साहस करने का दम चीन या उसकी सेना में नहीं है,यह चीन खुद जनता है।

या फिर चीन ने दूसरी लफ़्ज़ों में इशारा किया है की ISI के गुर्गों द्वारा कश्मीर में जो छद्म युद्ध विफलतापूर्वक छेड़ रखा है उसे चीन आगे बढ़ाएगा?

वास्तव में, भारत आर्थिक एवं सामरिक दृष्टी से एक वैश्विक सुपर पावर बन कर उभर रहा है, इस सच्चाई को चीन पचा नहीं पा रहा है। इसीलिए भारत विरोधी आतंकवादियों का समर्थन कर, सीमा पर गतिरोध उत्पन्न कर और धमकानेवाला बयान देकर, चीन भारत के प्रति अपनी भड़ास निकाल रहा है।

भारत सरकार, जनता और सेना ऐसी भद्दी धमकियों से डरने वाले नहीं है. डोकलाम में भी हमारी सेना ने पीछे न हट कर किसी भी स्थिति का सामना करने का अपना मज़बूत इरादा चीन के सामने पेश किया है. हमारे सब्र को कमजोरी समझ कर दुस्साहस करना चीन के लिए बहुत महंगा पड़ेगा।

भारतीय जनता का भी दायित्व बनता है की चीन के प्रति अपना क्रोध प्रकट करें, चीनी सामान का बहिष्कार करें। आईये हम प्रण लेते हैं की आने वाले त्योहारों में ही नहीं आगे भी हम चीनी सामान को न खरीदेंगे, बेचेंगे या इस्तेमाल करेंगे।

जय हिन्द.. 

Saturday, 1 July 2017

GST: एक देश, एक टैक्स, एक बाजार

जीएसटी का मुख्य उद्देश्य बहुस्तरीय टैक्स को समाप्त करना है। केंद्र एवं राज्य के बहुस्तरीय टैक्स स्ट्रक्चर को बदलकर, एक नयी एकीकृत और सरल टैक्स प्रणाली का आगाज़ करना एक दम सही एवं अनिवार्य है।
  
जीएसटी परिषद द्वारा 66 वस्तुओं के लिए कर दरों में संशोधन किया है। जीएसटी के अंतर्गत, वस्तुओं को चार टैक्स केटेगरी में विभाजित किया गया हैं इस के अलावा कुछ  ज़रूरी वस्तुओं को जीएसटी के बाहर (कर-मुक्त) रखा  हैं,  तथा  कुछ  चुनिंदा  चीज़ों  को  स्पेशल  केटेगरी  में  रखा गया है।

इस चार  व्यापक टैक्स स्लैब 5%, 12%, 18% और 28%,  के तहत सूचीबद्ध अधिकांश सामान एवं  सेवाएं कुछ इस प्रकार है : 







30 जून की मध्य रात्रि को महामहिम राष्ट्रपति एवं माननीय प्रधान मंत्री जी ने वास्तु एवं सेवा कर प्रणाली का आगाज़ किया, सत्रह साल की कोशिशों के बाद आखिरकार गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) देशभर में लॉन्च हो गया। 
सभी देश वासियो को हार्दिक बधाई!

Wednesday, 31 May 2017

राष्ट्र की समृद्धि के लिए पुरुषार्थ द्वारा किया गया एक महा प्रयास ..

और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै

(जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।)
श्री हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए हमने हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ा. लेकिन इस में एक विशेषता थी. यह एक व्यक्ति विशेष की अभिलाषा का फल पाने के लिए नहीं थी।  यह एक सामूहिक प्रयास था. इंदौर शहर में 135 स्थलों पर एक साथ दिनांक 27 मई 2017 को सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ किया गया. उद्देश्य था हमारी अभिलाषा कि भारत देश सर्व सपन्न हो कर एक बार फिर सोने की चिड़िया कहलाये.
हाँ, इसबार हम इस बात का पूरा खयाल रखेंगे कि यह सोने की चिड़िया हमेशा हरियाली और खुशियाली में चहकती रहे; इस बार विदेशी आक्रांता उसकी तरफ चाहत की दृष्टी भी न डाल पाएं। हमें पूरा विश्वास है कि जनसाधारण इस फल की प्राप्ति के लिए लालायित होंगे। हमारे इस विश्वास का कारण है कि इंदौर के जन समुदाय ने इस पहल का पूर्ण रूप से स्वागत किया है जो इस पाठ में शामिल 5704 पुरुषों व 2704 महिलाओं की उपस्थिति से स्पष्ट है।
इस पहल की सफलता का एक पहलू यह भी है कि इस सामूहिक समारोह को अपने अनूठे प्रयास के लिए इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स द्वारा पुरुस्कृत किया गया है।


इस सफलता से हमारा आत्मविश्वास और भी बढ़ा है और हमें पूरा भरोसा है की इंदौर का जन समुदाय हमारी हर पहल में हमारा साथ देगा।

Tuesday, 16 May 2017

नमामि देवी नर्मदे...

कई भविष्यदृष्टा मानते हैं कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर होगा. कहा जाता है कि किसी भी झगडे के होने के तीन कारण हो सकते हैं; जर (धन), जोरू (स्त्री) या जमीन। हमें इस मान्यता में अब 'जल' भी जोड़ना होगा.

हर पीढ़ी को यह याद रखना चाहिए कि वे इस सृष्टि के मालिक नहीं हैं - वे तो केवल ट्रस्टी हैं जिन्हे यह संसार अगली पीढ़ी को कम -से -कम यथास्थिति सौपना है, अगर बेहतर स्थिति में सौंप सकें तो सोने में सुहागा ! ज़ाहिर है कि  हमें पानी की एक एक बून्द बचानी होगी। और इसमें हमारे प्राकृतिक स्त्रोतों का बचाव व रख-रखाव शामिल है।

कितने हैरानी का विषय है कि हमारे जिस देश ने विश्व को सभ्यता का पाठ पढ़ाया जिसमे नदियों का संरक्षण शामिल है, उसी देश में सरस्वती जैसी पावन नदी लुप्तप्राय हो जाती है !! हमारी प्राचीन सभ्यता में नदियाँ का सभी स्तरों पर, धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक महत्व है। और यह जलस्त्रोत केवल इंसान की बपौती नहीं है; इसपर सभी जीव जंतुओं का समान अधिकार है।

इस दॄष्टि से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पिछले पांच महीनों से की गयी नर्मदा सेवा यात्रा अति सराहनीय है।  आज के दिन यह करीब साढ़े तीन हज़ार किलोमीटर दूरी तय कर अमरकंटक लौट आयी है। उल्लेखनीय है कि  इस यात्रा के दौरान १६ जिलों में १००० से ज्यादा जनसंवाद हुए और २५ लाख  लोगों ने  पर्यावरण संरक्षण का प्रण लिया। अब इसमें वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जायेंगे, जैविक खेती लघु उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा । नदी के दोनों तटों पर पौधरोपण कार्यक्रम चलाये जायेंगे जिससे शुद्ध पर्यावरण के निर्माण को भी बल मिलेगा। इस यात्रा से कई सामाजिक मुद्दों को जोड़ा गया है। वास्तव में यह यात्रा एक जनांदोलन बन गयी है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के आगमन से लोगों में पर्यावरण संरक्षण की भावना और भी बलवती हो गयी है।

इस बात को हम भली-भांति जानते हैं कि  सिर्फ सरकार नदियों का संरक्षण नहीं कर सकती; इसमें हरेक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। हम इसमें माला-फूल या पूजा की सामग्री न डालें, कूड़ा न फ़ेंके , पशुओं को न नहलाएं, मूर्तियों का विसर्जन न करें व कपड़े न धोएं।

एक महान कार्य संपन्न हुआ है लेकिन हम इसे समापन समझने की भूल नहीं कर सकते। यहाँ मुझे एक पुराने गाने की पंक्ति याद आती है 

'पंछी, नदिया, पवन के झोंके,
कोई सरहद ना इन्हे रोके !'

सो, सरहद के पार भी ऐसे सत्प्रयास किये जाने चाहिए। मध्य प्रदेश के इस  स्वर्णिम उदाहरण का बाकी राज्यों ने अनुसरण करना चाहिए।

Monday, 27 February 2017

शिक्षाकामंतव्य

क्या हमारे कुछ देशवासियों को  इस बात  पर  आश्चर्य हुआ कि गुजरात  के दो  भाई जिन पर आरोप  है की वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों  में लिप्त हैं, कंप्यूटर में पोस्टग्रेजुएट हैं ?
अगर ऐसा है तो दोष उन्ही का है क्योंकि कई देशभक्त शिक्षाविद इस कमी को कई वर्षों से उजागर कर रहे हैं कि हमारी शिक्षा प्रणाली केवल डिग्री या डिप्लोमा देने वाली दुकानें बन चुकी हैं और इनसे एक सम्पूर्ण नागरिक पैदा नहीं किया जायेगा।
चाणक्य नीति कहती है कि जो शिक्षा यह नहीं सिखाती कि राष्ट्र सर्वोपरी है, राष्ट्र की रक्षा सर्वोपरी है, वह शिक्षा व्यर्थ है ! चाणक्य ने तो स्वयं को प्रस्तुत किया था कि वह पहला, राष्ट्रधर्म का पाठ विद्यार्थियों को पढ़ाना चाहेंगे।





















इन दिनों जो गतिविधियां विश्व विद्यालयों में हो रही हैं जिसमे विभिन्न छात्र संघ एक दूसरे के विरुद्ध हैं वे भी बहुत चिंता का विषय है। जैसे हमने सफाई आंदोलन एक राष्ट्रव्यापी तौर पर छेड़ा है, समय आ गया है कि हम हमारी शिक्षा प्रणाली की भी सफाई करें। शायद इसके लिए हमें राष्ट्र के शीर्ष शिक्षा विदों को संगठित करना चाहिए. यह तो सर्विदित है की राष्ट्र धर्म का पाठ स्कूल स्तर पर ही अधिक कारगर होगा। हमें देश के युवाओं में राष्ट्रभक्ति जगानी ही होगी, भले ही यह निर्णय लेना पड़े कि हरेक युवक को कुछ वर्ष सेना में सर्विस करना अनिवार्य होगा।
कहते हैं कि चीनी दार्शनिक  ह्वेनसांग भारत से नौका में अपने दो शिष्यों और नाविक के साथ चीन लौट रहे थे। नौका मेंबहुत सी किताबें थीं जो नालंदा और तक्षशिला विश्व विद्यालयों ने भेंटकी थी. नौका ज्ञान से भरी थी ! अचानक मौसम ख़राब हो गया -नाविक बहुत कठिनाई से नाव सम्हाल रहा था ! मौसम और ख़राब हुआ तो नाविक ने कहा 'नौका का वजन कम करना होगा।’ बिना किसी विलम्ब के दोनों शिष्यों ने एक दूसरे की तरफ देखा और उफनते समुद्र में कूदकर अपनी जान दे दी।
(शायद गुरु की ओर इसलिए नहीं देखा होगा कि उनके चेहरे पर ग्लानि के भाव न दिखें !) ज्ञान चीन पहुंचा और, आज देखिये, शायद उसी ज्ञान की वजह से चीन एक विश्व शक्ति बन चुका है और अमेरिका को गंभीर चुनौती दे रहा है।

क्या आज के भारतीय छात्रों से ऐसी उम्मीद की जा सकती है ? हमें भी एक ऐसे समाज और शिक्षा प्रणाली का भागीदार बनना होगा जहाँ शिक्षा और ज्ञान के मंदिर राजनीति का अखाडा न बने और जहाँ ज्ञान परम हो डीग्री नहीं |