Saturday, 10 December 2016

भारत की सबसे पुरानी रेजिमेंट 'राजपूताना राइफल्स' से जुड़ी ये 10 बातें हर भारतीय को जाननी चाहिए


राजपूताना राइफल्स, भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। साथ ही राजपूताना राइफल्स’ इंडियन आर्मी का सबसे पुराना और सम्मानित राइफल रेजिमेंट है। इसकी स्थापना 1775 में की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राजपूत लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भर्ती कर लिया। दिल्ली में स्थित राजपूताना म्यूजियम राजपूताना राइफल्स के समृद्ध इतिहास की बेहतरीन झलक है. यह पूरे भारत के बेहतरीन सेना म्यूजियमों में से एक है।

राजपूताना राइफल्स की 10 खूबियाँ –

1- राजपूताना राइफल्स को मुख्य रूप से पाकिस्तान के साथ युद्ध के लिए जाना जाता है। बता दे कि राजपूत रेजिमेंट और राजपूताना राइफल्स दो अलग-अलग आर्मी यूनिट हैं।

2 - 1921 में इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तौर पर विकसित किया गया था। 1953-1954 में वे कोरिया में चल रहे संयुक्त राष्ट्र संरक्षक सेना का हिस्सा थे. साथ ही वे 1962 में कौंगो में चले संयुक्त राष्ट्र मिशन का भी हिस्सा थे।

3- 1945 से पहले इसे 6 राजपूताना राइफल्स के तौर पर जाना जाता था क्योंकि, इसे तब की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के 6 रेजिमेंट्स के विलय के बाद बनाया गया था।

4- 1778 में इसे 9वीं बटालियन बंबई सिपाही के तौर पर पुर्नगठित किया गया था। 1921 में इस रेजीमेंट को अंतिम रूप देने से पहले 5 बार पुर्नगठित किया गया।

5- राजपूतों के अलावा, इस रेजीमेंट में जाट, अहीर, गुज्जर और मुस्लिमों की भी एक बड़ी संख्या है।

6- राजपूताना राइफल्स 1999 में हुए कारगिल युद्ध में लड़ने वाली 7 आर्मी यूनिट्स में से पहली यूनिट थी। इस युद्ध् में बहादुरी के लिए आधिकारिक तौर पर सम्मान पत्र से नवाजा गया था।

7- थम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राजपूताना राइफल्स के लगभग 30,000 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी। राजपूताना राइफल्स का युद्धघोष है… “राजा रामचन्द्र की जय”

8- राजपूताना राइफल्स का आदर्श और सिद्धांत वाक्य “वीर भोग्या वसुंधरा” है, जिसका अर्थ है कि ‘केवल वीर और शक्तिशाली लोग ही इस धरती का उपभोग कर सकते हैं।

9- राजपूताना राइफल्स के ज्यादातर सदस्य अपनी विशेष शैली की मूछों के पूरे विश्व में फेमस हैं।

10-मध्यकालीन राजपूतों का हथियार कटार और बिगुल राजपूत रेजिमेंट का प्रतीक चिन्ह है।

Monday, 17 October 2016

सिर्फ तीन तलाक ही नहीं, समाज में प्रचलित ये पाँच प्रथाएं भी हैरान करने वाली हैं


भारत में तीन तलाक़ के मुद्दे पर बहस गर्म है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार को तीन तलाक के मुद्दे में दखल न देने को कहा है। सरकार ने तीन तलाक समेत समाज में प्रचलित कई कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए एक प्रश्नावली भरवा रही है। इस प्रश्नावली को यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनाया आयोग लेकर आया जिसे 45 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। भारत में ऐसी कई प्रथाएँ हैं जो हैरान करती हैं। इन प्रथाओं को कानूनी मान्यता तो नहीं है लेकिन समाज में इन्हीं कुछ जगहों पर स्वीकृति मिली हुई है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी ही प्रथाएँ बताते हैं…

1. तीन तलाक़
तीन तलाक मुस्लिमों में आज भी खूब प्रचलित है। तीन तलाक मतलब तलाक-तलाक-तलाक बोल दो और पति-पत्नी के बीच रिश्ता खत्म। यह एक तरह का मौखिक तलाक है जिससे मुस्लिम महिलाओं में भारी असंतोष फैल रहा है। इसके बावजूद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस कानून के रास्ते में ढाल बनकर खड़ा रहना चाहता है।

2. पॉलीगेमी या बहुपत्नी प्रथा
इस प्रथा में एक व्यक्ति एक से अधिक शादियाँ करता है। सिविल मैरिज एक्ट के तहत की गई शादियों में यह बहुपत्नी विवाह गैर कानूनी है। साल 1860 आईपीसी की धारा 494 और 495 के तहत ईसाइयों और 1995 में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हिंदुओं में दूसरी शादी को गैरकानूनी माना गया जिनकी पहली पत्नी जीवित हो। मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से मुस्लिमों को पॉलीगेमी की छूट दी गई है। इससे मुस्लिम महिलाओं में काफी रोष है।

3. प़ॉलियेंडरी यानि बहु-पति प्रथा
एक जमाने में बहु-पत्नी प्रथा की तरह ही बहु-पति प्रथा का भी प्रचलन था। फिलहाल इसका चलन बहुत कम हुआ है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और तिब्बत की सीमा के पास के कुछ इलाकों में ये आज भी दिख जाता है। इस प्रथा की प्रेरणा महाभारत से ली जाती है। कहा जाता है कि एक द्रौपदी के पाँच पति थे। आयोग ने अपनी प्रश्नावली में इस प्रथा के बारे में भी सुझाव माँगे हैं।

4. मुतआ निकाह यानि कुछ महीनों की शादी
ईरान के शिया मुसलमानों में इसका प्रचलन रहा है। ये एक तरह का अल्पकालिक समझौता होता है जिसमें दो या तीन महीने के लिए विवाह किया जाता है। अब इसका चलन कम हो रहा है।

5. मैत्री करार या एक प्रकार का लिव इन रिलेशनशिप
मैत्री प्रथा गुजरात में आज भी प्रचलित है और इसे कानूनी मान्यता भी मिली हुई है। इसमें महिला और पुरुष मजिस्ट्रेट के सामने करार करके एकसाथ रहते हैं। इसमें पुरुष हमेशा शादीशुदा होता है। दोनों कपल को वयस्क होना चाहिए।

Friday, 12 August 2016

विजय रूपानी ने ली गुजरात सीएम पद की शपथ, कैबिनेट में 25 मंत्री शामिल


गुजरात के 16 वें मुख्यमंत्री के तौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय रूपानी ने मुख्यमंत्री के तौर पर रविवार को गांधीनगर में शपथ ली। यहां महात्मा मंदिर में आयोजित समारोह में राज्यपाल ओपी कोहली ने रूपानी के अलावा उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल तथा कैबिनेट स्तर के सात अन्य मंत्रियों और राज्य स्तर के 16 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। विजय रूपानी ने अपनी कैबिनेट में कुल 25 मंत्रियों को शामिल किया। कैबिनेट में जो 25 मंत्री शामिल किए गए हैं, उनमें से 8 पटेल हैं। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी शामिल हैं। मंत्रिमंडल में 8 पटेल नेताओं के अलावा, 14 जनरल कैटेगरी के विधायक हैं, जबकि 7 ओबीसी, 3 एसटी और 1 अनुसूचित जाति के नेता हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन सरकार के 9 मंत्रियों की छुटटी हो गई, वहीं 9 विधायक पहली बार मंत्री बने।  विजय रूपानी के अलावा नितिन पटेल का नाम भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल था लेकिन आखिरकार सियासी समीकरण रूपानी के पक्ष में बने और नितिन पटेल को उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा।
शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, स्थानीय भाजपा सांसद और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल, केद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, पुरूषोत्तम रूपाला और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर समेत कई राजनेता और अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने कुछ दिन पहले ही फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि वह इस पद से हट जाना उपयुक्त समझती हैं क्योंकि वह इस साल नवंबर में 75 की हो जाएंगी। ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री ने केंद्र और राज्यों के मंत्रिमंडल में मंत्रियों के लिए यह ऊपरी उम्र सीमा तय कर रखी है।

आज भारत की अधिकांश आम जनता भले ही विजय  रूपानी का नाम पहली बार सुन रही हों, लेकिन वे बीजेपी के इनर सर्किल के जाने-माने चेहरे हैं। 60 वर्षीय विजय रूपानी जैन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और गुजरात प्रांत में बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे बीजेपी संगठन पर अच्छी पकड़ रखते हैं। वे राजकोट पश्चिम से विधायक रहे हैं । उनके समक्ष गुजरात सरकार में परिवहन, वॉटर सप्लाई और लेबर एंड एम्प्लॉय जैसे मंत्रालय भी रहे हैं । 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के नए मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को बधाई दी। मोदी जी ने ट्वीट कर कहा, ‘विजय रूपानी, नितिनभाई पटेल और अन्य को बधाई। इन्होंने गुजरात की विकास यात्रा को जारी रखने के लिए अपनी नई पारी शुरू की है।मैं आनंदीबेन की समर्पित सेवा की प्रशंसा करता हूं। जिन्होंने कई वर्षों तक गुजरात के लोगों के लिए अथक काम किया।

विश्व का सबसे बड़ा खेल आयोजन – ओलंपिक


मनुष्य के जीवन में आरंभ  से ही खेलों का महत्व रहा हैं। खेलों के बिना मनुष्य अधूरा हैं। प्राचीन समय में खेल ही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। आज के युग में मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं परंतु खेलों का महत्व वैसा का वैसा ही बना हुआ है। खेलों से जहाँ स्वास्थ्य ठीक रहता है, वहीँ मनोरंजन भी होता हैं। खेल अनेक प्रकार के होते हैं तथा इनका आयोजन चलता ही रहता हैं। लेकिन एक खेल आयोजन ऐसा हैं जिसे संसार भर का सबसे बड़ा खेल आयोजन माना हैं जिसका नाम है 'ओलंपिक'।  'ओलंपिक' खेल के अंतर्गत बहुत सारे खेल आते हैं, इसमें दुनिया भर के चुने हुए खिलाडी ही भाग लेते हैं। इन खेलों में अनेक प्रतियोगिताएँ होती हैं। ओलंपिक खेल आज भी उतने ही प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण हैं जितना कि वह प्रारंभिक वर्षों में हुआ करते थे। इनमें भाग लेना और कोई स्थान प्राप्त करना सबसे बड़े सम्मान व गौरव की बात होती है। जो देश  जितने अधिक पदक (मेडल्स) जीतता है वह देश उतना  महान और लोकप्रिय माना जाता है। यह खेल हर चार वर्षों के अंतराल में आयोजित होता है, जिसमें पूरे विश्व के विभिन्न देश विभिन्न खेलों में भाग लेते हैं।

ओलंपिक ध्वज पर आपस में पिरोए हुए पाँच रिंग्स मूल रूप से पाँचों महाद्वीपों की मित्रतापूर्ण एकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब ये अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक हैं। इन रिंग्स  के नीले, पीले, काले, हरे तथा लाल रंग उन रंगों के सूचक हैं, जो विभिन्न दलों के ध्वजों में होते हैं एवं सफ़ेद पृष्टभूमि 'शांति' का प्रतीक है।
भारत देश भी आज़ादी के पूर्व से ही ओलंपिक खेलों में प्रतिभागी होता रहा हैं। ओलंपिक खेलों के साथ भारत की सहभागिता उस समय प्रारम्भ हुई जब यह ब्रिटिश शासन की गुलामी में था। भारत के राष्ट्रीय खेल 'हॉकी' ने वर्ष 1928 से 1956 की अवधि में लगातार छः ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाए हैं। उस समय पूरे विश्व में भारतीय हॉकी को शीर्ष स्थान प्राप्त था।  भारतीय खिलाडियों ने ओलंपिक खेलों की कई प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया जिसमें तीरंदाजी, हॉकी, फुटबॉल, कुश्ती, बैडमिंटन, टेनिस, एथलेटिक्स आदि प्रमुख हैं। आज तक के ओलंपिक खेलों में भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष 2012 मेँ लंदन में आयोजित ओलंपिक खेलों में किया था। भारत ने लंदन ओलंपिक खेलों में 2 रजत तथा 4 कांस्य पदक प्राप्त किये। भारत में केंद्र सरकार द्वारा एक भारतीय ओलंपिक संगठन की स्थापना की हैं, जो भारतीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं।
भारत का ओलंपिक खेलों में अन्य देशों की तुलना में प्रदर्शन अच्छा नहीं माना जा सकता हैं।  चीन, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका जैसे देशों के पदकों की संख्या 100 से अधिक रहती हैं। ओलंपिक खेलों में भारत के पिछड़ेपन के कई कारण हैं। हमें प्रोत्साहन और बढ़ावा देने की बहुत आयश्यकता हैं। भारतीय खिलाडियों  की ओलंपिक खेलों में भाग लेने की सबसे बड़ी चुनौती उनके वित्तीय मामलों तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उलझना होता है।  भारतीय खिलाड़ियों को जो एशियाड या अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में  अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें भारत सरकार को उचित प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण भी प्रदान करना चाहिए तथा समिति को निष्पक्ष तौर पर कार्य करना चाहिए, ताकि खिलाडी  ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर पाए।

भारत में सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों की कमी नहीं है, अभाव है तो केवल उनकी प्रतिभाओं को पहचान सकने की और उन्हें बेहतर मंच प्रदान करने की। भारत देश में खेल प्रतिभाओं की संख्या अधिक है, उन्हें तराशने और उचित प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, ओलंपिक खेलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारत शीर्ष स्थान अवश्य प्राप्त कर सकता हैं।

Monday, 1 August 2016

अज्ञानता का अंधकार, शिक्षा से होगा सुधार


”तमसो मा ज्योतिर्गमय”अर्थात् अधंकार से मुझे प्रकाश की ओर ले जाओ । यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तम्भ है । प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है, किन्तु  अन्धकार में नहीं। प्रकाश से यहाँ तात्पर्य ज्ञान से है ।इसी प्रकार ज्ञान के द्वारा मनुष्य के अंदर अच्छे विचार प्रवेश करते हैं एवं बुरे विचार बाहर निकलते हैं। शिक्षा का क्षेत्र सीमित न होकर विस्तृत है। व्यक्ति जीवन से लेकर मृत्यु तक शिक्षा का पाठ पढ़ता है। हमारे यहाँ प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलों में होती थी। छात्र पूर्ण शिक्षा ग्रहण करके ही घर वापिस लौटता था।  परंतु समाज के वर्ण व्यवस्था पर आधारित होने के कारण हर वर्ग को शिक्षा पाने का अधिकार प्राप्त नहीं था। धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन आया और वर्ण व्यवस्था का विरोध होने लगा। आज के समय समाज में  शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार बन गया हैँ। भारतीय संविधान के अनुसार हर नागरिक को चाहे वह किसी भी जाति  या धर्म का हो उसे शिक्षा पाने का पूर्ण अधिकार हैँ।

वर्तमान में शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है, सभी अपने  बच्चों को शिक्षित बनना चाहते हैं।  अच्छी शिक्षा के मायने बदल गए हैं, पूर्व के समय  में  शिक्षा के द्वारा चरित्र निर्माण पर जोर दिया जाता था, जिसके लिए धार्मिक और नीति संबंधी शिक्षा दी जाती थी। परंतु आज के समय में  उद्देश्य है - मौलिक रूप से कैरियर (भविष्य ) का निर्माण करना। इसी कारण शिक्षा में ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी का अधिक समावेश हो गया है। आज जगह-जगह सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य होता है। वहां पर शिक्षक भिन्न-भिन्न विषयों की शिक्षा देते हैं।

छात्र जब पढ़ने के लिए जाता है तब उसका मानसिक स्तर धीरे-धीरे ऊपर उठने लगता है। इन सब प्रश्नों का उत्तर हमें शिक्षा के द्वारा मिलता है। जैसे-जैसे हम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारा ज्ञान विस्तृत होता जाता है। ज्ञान का अर्थ केवल शब्द ज्ञान नहीं अपितु अर्थ ज्ञान है।
आज के वैज्ञानिक युग में शिक्षा प्राप्त किये बिना मनुष्य की उन्नति नहीं हो सकती। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैँ परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके।

उत्तम विद्या लीजिए यद्यपि नीच पै होय।
परयौ अपावन ठौर में कंचन तजत न कोय ।।

शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान के प्रकाश से शुभाशुभ, भले बुरे की पहचान कराके आत्म विकास की प्रेरणा देती है। उत्रति का प्रथम क्रम शिक्षा है। उसके अभाव में हम लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति की रक्षा नहीं कर सकते।
शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाने की आवश्यकता है। शिक्षा को जन-जन तक फ़ैलाने के लिए तीव्र प्रयासों की आवश्यकता हैं। इक्कीसवीं सदी में भारत का हर नागरिक शिक्षित हो, इसके लिए सभी जरुरी कदम उठने होंगे। सर्व शिक्षा को प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता हैं।


Wednesday, 20 July 2016

महिला सशक्तिकरण


कहा गया है जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। प्राचीन काल से ही नारी को ‘गृह देवी’ या ‘गृह लक्ष्मी’ कहा जाता है। सदियों  से चली आ रही हमारी परम्परा और प्रथायें विभिन्न प्रकार से विकसित हुई हैं। यह रीति- रिवाज़ हमारे समाज की सामूहिक चेतना का एक अहम हिस्सा हैं। हमारे यहाँ महिलाओं को देवी की तरह माना जाता हैं, पर हम उनके साथ बुरा व्यवहार करने से भी नहीं चूकते। चाहे घर हो या फिर सड़क, महिलायें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। उनके साथ दुर्व्यवहार करते समय किसी को याद नहीं रहता कि हमारे समाज में उन्हें देवी का दर्जा प्राप्त हैं।    

महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं से जुड़े सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त किया जाता है। परंतु सशक्तिकरण की इस प्रक्रिया में समाज के पारंपरिक द्रष्टिकोण को बदलना ज़रूरी है, जिसमें महिलाओं की स्थिति को सदा कम माना गया है।
 अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं की सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और न्याय के राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला सशक्तिकरण, शारीरिक  या मानसिक, सभी स्तरों पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है। नारी का योगदान समाज में सबसे ज़यादा होता है। बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा से लेकर नौकरी तक नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है। अतः नारी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए और उसका सदा सम्मान करना चाहिए।

हमारी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनायें निकाली गयी हैं जिनमें सबसे अहम् योजना है “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” इस योजना का लक्ष्य बेटियों को पढ़ाई के ज़रिये सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है।इस प्रकार सरकार महिलाओं की कल्याण सेवाओं मे जागृत एवं सुधार ला पाएगी। यह योजना न केवल लड़कियों बल्कि पूरे समाज के लिए एक वरदान है।

सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए उनके महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की ज़रुरत है और साथ ही हमें महिलाओं के प्रति हमारी सोच को भी विकसित करना होगा। देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद ज़रूरी है। यह देश के विकास  के लक्ष्य को पाने के लिए एक आवश्यक कदम है। बस ज़रुरत है कि हम महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए आवाज़ उठायें और और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।

Friday, 8 July 2016

Today’s Youth is India’s Tomorrow or Future of India

The greatest wealth and strength of any nation is its youth. Youth plays a crucible role towards the development of the country. Youth are the future of nation, their action and inactions both can contribute to the state of the nation. The youth represent the future as they bring new ideas and enthusiasm that can benefit the society at large. Youth are the power house of infinite energy. The youth of today will soon bring about a change that will change the way the world looks at India.

The best ways to strengthen the youth are to provide them right education which can make them responsible, open minded and patriotic. We need to empower our youth so that they can make a better tomorrow. Young participation is important because they can recognize problems quickly and can solve them. Value of time, discipline, thinking before doing action etc are some key points that today’s youth should think on it.

Nation development is not achievable without the active participation of the youth .Youth can understand the problem faced by country and try to solve them. There are many ways that youth can contribute to national development. They can do so by working hard in any field they are involved. However, to ensure the active participation of young people in national development, they need to be supported and encouraged by the government, private sector, society and their parents and must be given an opportunity to effectively participate in decision making processes.

Youth can also change the future of the society. It’s very obvious that the ill impacts of social evils are destructing our society and it is the youth who can help to reform the society again. They must realize the difference between good and bad. Once they are clear with the terms, society can be reconstructed. Youth also needs to understand its responsibility as a human and also as a citizen.

It is not enough making any rules, regulation, law and campaign etc by the government but are needed to be strictly followed by every citizen to be really free from all the illegal activities. Youth needs to perform their duties towards the country by eliminating poverty, crimes, child labor and other social issues. We must motivate the youth about their responsibility.

It is not just a single youth’s responsibility to construct the society but the responsibility of every citizen towards the betterment of the country.


Wednesday, 22 June 2016

ISRO's 20-in-1 mission successful


Indian Space Research Organisation (ISRO) on Wednesday launched in a single rocket a total of 20 satellites, including two student satellites from Indian universities and 17 satellites of four foreign countries.
The space agency's PSLV C-34 rocket lifted off at 9.25 a.m. from the Second Launch Pad in Satish Dhawan Space Centre and some 16 minutes later placed Cartosat-2 Series satellite about 505 km above the Earth's orbit. Within the next 10 minutes, the remaining 19 satellites were eventually placed in the intended orbits.

Top 10 facts:
  • India’s earth observation spacecraft Cartosat-2 Series satellite and 19 co-passenger satellites together weighing about 560 kg at lift-off would be injected into a 505 km polar Sun Synchronous Orbit.
  • The primary satellite to be carried by PSLV C-34 rocket is similar to Cartosat-2, 2A and 2B satellites launched earlier. The imagery to be sent by the satellite would be useful for cartographic applications, coastal land use and regulation, utility management like road networking, water distribution, creation of land use maps, precision study, change detection to bring out geographical and manmade features and various other Land Information System and Geographical Information System applications.
  • LAPAN-A3 (Indonesia): The microsatellite is for Earth observation and is intended to be used to monitor land use, natural resource and environment.
  • M3MSat (Canada): Maritime Monitoring and Messaging Micro-Satellite is a technology demonstrator mission jointly funded and managed by Defense Research and Development Canada (DRDC) and the Canadian Space Agency (CSA). The satellite’s primary mission is to collect and study Automatic Identification System signals from low-Earth orbit.
  • GHGSat-D (Canada): Built by Space Flight Laboratory of the University of Toronto Institute for Aerospace Studies, the Earth observation satellite is meant for measuring the atmospheric concentration of greenhouse gases (Carbon Dioxide and Methane).
  • BIROS (Germany): Berlin Infrared Optical System (BIROS) is a small scientific satellite from the German Aerospace Center and its mission objective is the remote sensing of high temperature events.
  • SkySat Gen2-1 (U.S.): Designed and built by Terra Bella, a Google company based in Mountain View, California in the U.S., the small Earth imaging satellite is capable of capturing sub-meter resolution imagery and HD video.
  • Dove Satellites (U.S.): A total of 12 Flock-2P Earth imaging satellites are to be launched in this mission. They would be packed in three dispensers.
  • Sathyabamasat (Sathyabama University, Chennai): The satellite aims to collect data on green house gases.
  • Swayam (College of Engineering, Pune): The satellite aims to provide point to point messaging services to the HAM (amateur radio) community.

Tuesday, 7 June 2016

TWO YEARS COMPLETED TOWARDS DEVELOPMENT

As the BJP government completed 2 years, take a look on their schemes


This year in the month of May, Prime Minister Narendra Modi has completed 2 years of his government. Two years back, for the first time in election BJP came up with a large majority. Narendra Modi won election magnificently on the strength of his personality, records and achievements. At the time of swearing-in ceremony at Delhi, the Team Modi had given a clue to assure that they are ready with the game changing plan for the country.

Today, Modi is one of the most popular politician of the World. The way BJP government has handled challenging tasks under his leadership, have won the hearts of many young Indians. Within a few month of BJP government establishment, the world started viewing India as an economic opportunity once again. On the same front, India has started spreading its wings of economic growth. In these 2 years, Modi has taken various little steps towards transformation of the country. In guise of several government schemes and programs, PM has been fueling the public of India and empowering their lives.

These are some of the top programs started by the Modi government:

1. Digital India 

It is one of the best campaign launched by Modi government to induce the digitalization in general public by improving online services and internet connectivity. Thus, making the country technically and digitally strong as well as competent enough to compete with the outer world.

2. Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana

Through this scheme, anyone can open the account in bank. After the launching of this scheme, the yojna entered the Gunnies Book of World Record for the maximum number of bank accounts.

3. Swachh Bharat 

A game changing scheme launched by Mr. Pradhan Mantri towards the cleanliness of the country. It is launched as a responsibility so that every Indian get encouraged keeping their country clean. Many celebrities also have joined this campaign to generate awareness among the Indians towards the cleanliness or hygiene.

4. Make in India 

An ambitious programme launched by the Modi government with an aim to boost up the multinational companies around the world so that they manufacture their product in India which directly develops the country economics.

Launched with zeal and enthusiasm, various other schemes by the Modi government are listed below-

  • Saansad Adarsh Gram Yojana
  • Atal Pension Yojana
  • Pradhan Mantri Awas Yojana
  • Pradhan Mantri Jeevan Jyoti Bima Yojana (PMJJBY)
  • Suraksha Bima Yojana
  • Krishi Sinchai Yojana
  • Kaushal Vikas Yojana
  • MUDRA Bank Yojana
  • Sukanya Samriddhi Yojana
  • DigiLocker Scheme
  • Ebasta Scheme
  • LPG Subsidy Pahal Scheme 
  • Ujwala Yojana
  • Modi’s Sagar Mala
  • Smart City Yojana
  • School Nursery Yojana
  • Nayi Manzil Yojana
  • Gold Monetization Scheme and others
Overall, Narendra Modi with his several running and yet to start deliverables for public, is making all his efforts of continuous development of India. 

Thursday, 28 April 2016

2.2 Lakh Job Opportunities by the Central Government!


Big news for people who are seeking Central Government jobs! One of the core poll promises i.e. employment made by PM Narendra Modi is all set to be done. In a shift from its mantra of ‘Minimum Government, Maximum Governance’, government is going to recruit 2.2 lakh central employees over a period of 2 years.

Recruitment Plans

The biggest increase of 70,000 is expected to take place in the Revenue Department which comprises Income Tax, Custom & Excise. As the recruitment in this department has been frozen for many years, results in more than 6 lakh vacant posts. Government mostly tries to increase the number in Railway Department as the reports said that it has not added a single worker in last 3 years. Cabinet Secretariat is a very small department thus 301 people will be employed. The Personnel Ministry had added 1800 jobs in last 2 years, the Urban Development Ministry had added 6000, Mines Ministry 4,399 & Department of Space 1,000. The Information & Broadcast Ministry had added 2,200 employees in last 2 years. The staff count is set to increase to 35.23 lakh by March 1, 2017 against 33.05 lakh employees in March 1, 2015.

Modi always believes in maximum governance. Government wants to fill the vacancies as fast as possible. It seems like “Achhe din aane wale hain” for all those people striving to get placed in the Government jobs.


Friday, 22 April 2016

Simhasth Kumbh Mela 2016 Call of the Divinity to its Devotees





Festival of largest gathering on planet, Simhasth Kumbh Mela that occurs in every 12 years is going to take place from April 22nd to May 21st 2016 at Ujjain. According to Hindu calendar it is on Chaitra Shukla Purnima- Vaishakha Shukla Purnima, Vikram Samvat 2073. This Mahaparv basically held in 4 devout cities of India - Haridwar, Allahabad, Nasik & Ujjain.

Why this time in Ujjain?
Well, the Ujjain has numerous significances as it is one of the most ancient cities of India. It is believed that schooling of Lord Krishna was done in this city only and Kalidas had composed his poetry works in Ujjain. But apart from all this, it is mainly because of its unique geographical location as the Tropic of Cancer passes through it.
Mahaparv specially called as Simhasth because the Sun is in the Zodiac Aries & the Jupiter is in the Zodiac Leo, when it takes place. We all are aware of beginning and the reason of celebrating it. It all started from pot (Kumbh) emerging out from the Samudra Manthan, the famous event of Churning of the ocean from the Hindu mythology. It is believed that in every 12 years, a drop of nectar from kumbh drops in the pious river & taking a dip in the river would purifies the soul & overcomes all the sins.

Heartening to know that along with Sanatan Dharma people from other religions, section & even from other countries are participating with same enthusiasm and harmony. It is to be expected that around 5 Crore i.e. 50 Million pilgrims could join the Mahaparv. Devotees could visit Mahakaleshwar Jyotirlinga & other ancient temples & would find spiritual solace in Satsang & Sankirtan with Sadhus. Like always the Mela will take traditional start, Akharas head join the procession on silver throne on elephants, armed Sadhus horses & camels followed by Sadhus. Over 97000 quintals of marigold flower will be available during the Mela.

Government, Supervising from the Front

Before, the government’s role was limited to making arrangements, but this year the government itself has become an integral part of the event. The arrangements & facilities of the Mela are massive & marvelous. It is directly monitored by Chief Minister Shivraj Singh Chauhan, whose headquarter has been made at Ujjain. Several cabinet meetings, international seminars are to be held in Ujjain during Mahaparv. Law & order will be deployed by thousands of policemen.
Arrangements for supply of drinking water, milk, food, grains, fuel, cottage which include 24 hours internet, waterproof sheet, AC or cooler, folding chairs & bed, mat, even attached bathroom & lamp have already been made. Around 3 Crore & 9 Crore have been spent on streetlight & tube wells respectively. 50KW of free power will be supplied to Akhadas & 30KW to saints’ seers. For devotees arrangement of mainly clean, chilled water & tent for rest is made at every 1km on 118km long Panchkroshi Marg. If lighting arrangements are disrupted, generators will work & emergency lights will be the backup option of generators. Separate changing rooms for men & women have been made. 24 hours hospital facilities will be provided with 30-35 doctors on duty, 12 hours free treatment will be given. Charak Hospital has been established to deal with complicated medical case & to handle emergency surgeries. Even online booking & facilities of mobile app will be provided.
This festival is a call for the devotees to take a dip in the fervor of spirituality and for the administration to beat out all the challenges, show their excellence and make this occasion a wonderful trip for the pilgrims.
Come & join the once in a lifetime experience & enlighten your mind, body & soul.

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Saturday, 6 February 2016

Ram Katha: Pledges and Piousness


As we all get ready for Ram Katha, Shri Ram Katha Ayojan Samiti gears up for the massive event. This is the first time Param Pujya Shri Vijay Kaushal Ji Maharaj will be conveying the valuable knowledge about Ram Katha. He is a man of knowledge and celebrates Hidutva as a lifestyle. He believes that it is important for us to save the values that encapsulate Hinduism.

He has always taught modern life steps through old school teachings.

This year at Ram Katha in Indore, the focus would be on these eight pledges. The pledges are based on the issues that sum up the country’s issues. The aim is to impart the true meaning of Hinduism. The eight pledges are:

1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

मैं बेटियों की सुरक्षा, तरक्की एवं खुशहाली के लिए हर संभव प्रयास करूँगा | मैं कन्या भ्रूण हत्या का पूर्णतः विरोध करूँगा एवं बेटियों की शिक्षा के लिए योगदान करूँगा |

2. भ्रष्टाचार मुक्त समाज
मैं ना रिश्वत दूँगा, ना रिश्वत लूँगा और भारत को एक भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने में सहयोग दूँगा|

3. स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत
में अपने निवास एवं आस पास के साथ-साथ कार्य स्थल, धर्म स्थल एवं देश को पूर्णतः स्वच्छ रखूँगा और समाज को इसके लिए प्रेरित करूँगा, जिस से एक स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके|

4. अपराध मुक्त समाज
मैं समाज को अपराध मुक्त बनाने हेतु हरसंभव प्रयास करूँगा| किसी भी अपराधिक गतिविधि का ना हिस्सा बनूंगा और ना ही स्वजनो को बनने दूँगा|

5. संस्कार युक्त परिवार
संस्कार युक्त परिवार में अपने परिवार के हर सदस्य को विश्व में हिंदू जनसंख्या का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करूँगा| मैं माता पिता का आदर करूँगा, जीवनसाथी से सामंजस्या बनाके रखूँगा एवं बच्चों को हिंदू संस्कारों से अवगत कराऊंगा|

6. नर सेवा, नारायण सेवा
नर सेवा नारायण सेवा| मानव सेवा को नारायण सेवा के रूप में लेकर निर्धन एवं कमज़ोर की सहायता करने में सदैव तत्पर रहूँगा एवं अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करूँगा |

7. पर्यावरण बचाओ
वैश्विक समाज एवं भावी पीढ़ी के स्वस्थ और सुखद जीवन के लिए प्रक्रति का संरक्षण करूँगा | जल, पेड़, वायु, वन व भूमि को यथासंभव स्वच्छ व सुरक्षित रखूँगा और स्वज़नों को भी प्रेरित करूँगा |

8. सकारात्मक जीवन शैली
मैं जीवन के हर पहलू को सकारात्मक दृष्टि से देखूँगा एवं किसी भी परिस्तिथि में नकारात्मकता को खुद पर हावी नहीं होने दूँगा|


Wednesday, 3 February 2016

Start-up India: A great initiative

Entrepreneurs are to an economy what roots are to trees. Businesses let an economy grow each day. Entrepreneurship fuels growth and opens new markets and arena. India’s economic performance is always closely watched by the world. As a growing economy, it is necessary to have a government policy the eases trade. The Government recently announced the Startup India project. This is to boost growth, entrepreneurship and revive the slow growing economy.

Startup India is a potential scheme and can change the Indian Business Scenario if implemented with right steps. An economy like ours needs direct private investment to grow. A country cannot grow ahead with public investment and private consumption. Start-up India will fill up the vacuum between the two sectors and create alternate options.

This scheme has the potential to be a catalyst to restart private investment flow into the economy. The more good use of funds, the better the profit. This is one of the best policies that have been recently announced by the government. We need the current industries to grow and lead to develop newer industries. As the platform is ready for growth and we have great human resource potential to yields amazing results out of it.

If you take a look at the last decade, there has been a consistent growth with the advent of private sector. The scenario has consistently improved and the new Indian professional has bigger and better dreams. There are better and disruptive technologies, private capital that is waiting to be utilized, and a sincere business landscape. If this opportunity is backed by factual and effective policies then the industry has a huge way to grow and go ahead. Start-up India can bring thousands of entrepreneurs together at a single stage. If they work together and stably, they can lead the country towards new horizons. 

As a leader, I, Nanuram Kumawat will try to instill the potential and contribute to the scheme. I want this country to grow. 

Thursday, 21 January 2016

Chal Samaroh and Ram Katha – A Celebration


It is never easy to tell people to unite for a cause. The diverse thoughts, the different approaches and the to-each-his-own attitude make it difficult for the initiator to unite people. That is where religion pays its crucial rule. We all are inspired by God and his various forms. There is some kind of intriguing factor that keeps us rooted to the wonder God is.

This is what inspired us to organize Ram Katha. It is not about promoting a religion, not about hailing a single God but knowing the originality and truth that encapsulates all the notions. That is the reason behind us organizing this Ram Katha. We want to know more about the way God is perceived and the way people interpret his role in the Universe.

We are organizing a Chal Samaroh on 24th January 2016 that marks the beginning and conception of The upcoming 7-day event called Ram Katha. Chal Samaroh celebrates the spirit of Ram Katha and Lord Ram. It celebrates the essence he had and the truthfulness in the text of Ramayana. He has been a book in himself and a lot can be learnt from his aura and story.

Every character in Ramcharitmanas has his persona and story. The way every single character inter-related is remarkable and shows the writers’ i.e. Valmiki’s ji greatness. The interpretation by Tulsidas Ji in Ramcharitmanas is beautiful and shows devotee’s true feelings.

I, Nanuram Kumawat, cordially invite you to the Chal Samaroh on 24th January 2016. The Chal Samaroh will begin from Khajrana Ganesh Mandir and will go to kathasthal “Chitrakoot”, IDA Scheme No. 140. Ram Katha, narrated by Param Pujya Shri Vijay Kaushal ji Maharaj, will be held from 7th February 2016 to 14th February 2016 at kathasthal “Chitrakoot”, IDA Scheme No. 140..

Thursday, 7 January 2016

An Year Old, How Much Has Swacch Bharat Abhiyaan Actually Grown?

“Cleanliness is next to Godliness”.

All of us read, mugged, reproduced and scored marks, but handful of us followed. Ever wondered till October 2, 2014? No. But fortunately, one man did and subsequently made us think too. Mr. Narendra Modi swept everyone off their feet and quite literally this time, with a laudable “Swacch Bharat Abhiyaan”. Now, as we stand a year and 25 days later; I, Nanuram Kumawat, ask you all a question. How much have things changed? WALK around the city, and I emphasize on walk for a reason. Notice the number of plastic bottles strewn around as you stroll and the number of times you had to do a swift Michael Jackson move because an uncle wanted to ‘take the world and paint it red’. If this counting seems tough, let’s discuss the last dustbin you noticed, and if at all a beauty was spotted, how clean was the masterpiece from outside?

As a leader and a part of the system, I cannot help but wonder, why keeping the city clean is so difficult? If one can make an effort to keep his or her house clean, the same can be done for the city. This discrimination and disassociation seems hurtful. The nation belongs equally to Narendra Modi, as much it belongs to Nanuram Kumawat or any other person, politician or not.

Remember, every clumsily thrown wrapper blots your progress and every time you spit, the future is stained. This task does not need an idol rather requires an initiative. We need to work collectively as a unit as it’s not a one man’s responsibility.

Notice well enough and you will see, sanitation constitutes 90% of sanity. I, Nanuram Kumawat, urge you all to pledge with me again towards a cleaner India. Together we can make the difference a dynamo.