राजपूताना राइफल्स, भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। साथ ही राजपूताना राइफल्स’ इंडियन आर्मी का सबसे पुराना और सम्मानित राइफल रेजिमेंट है। इसकी स्थापना 1775 में की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राजपूत लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भर्ती कर लिया। दिल्ली में स्थित राजपूताना म्यूजियम राजपूताना राइफल्स के समृद्ध इतिहास की बेहतरीन झलक है. यह पूरे भारत के बेहतरीन सेना म्यूजियमों में से एक है।
राजपूताना राइफल्स की 10 खूबियाँ –
1- राजपूताना राइफल्स को मुख्य रूप से पाकिस्तान के साथ युद्ध के लिए जाना जाता है। बता दे कि राजपूत रेजिमेंट और राजपूताना राइफल्स दो अलग-अलग आर्मी यूनिट हैं।
2 - 1921 में इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तौर पर विकसित किया गया था। 1953-1954 में वे कोरिया में चल रहे संयुक्त राष्ट्र संरक्षक सेना का हिस्सा थे. साथ ही वे 1962 में कौंगो में चले संयुक्त राष्ट्र मिशन का भी हिस्सा थे।
3- 1945 से पहले इसे 6 राजपूताना राइफल्स के तौर पर जाना जाता था क्योंकि, इसे तब की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के 6 रेजिमेंट्स के विलय के बाद बनाया गया था।
4- 1778 में इसे 9वीं बटालियन बंबई सिपाही के तौर पर पुर्नगठित किया गया था। 1921 में इस रेजीमेंट को अंतिम रूप देने से पहले 5 बार पुर्नगठित किया गया।
5- राजपूतों के अलावा, इस रेजीमेंट में जाट, अहीर, गुज्जर और मुस्लिमों की भी एक बड़ी संख्या है।
6- राजपूताना राइफल्स 1999 में हुए कारगिल युद्ध में लड़ने वाली 7 आर्मी यूनिट्स में से पहली यूनिट थी। इस युद्ध् में बहादुरी के लिए आधिकारिक तौर पर सम्मान पत्र से नवाजा गया था।
7- थम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राजपूताना राइफल्स के लगभग 30,000 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी। राजपूताना राइफल्स का युद्धघोष है… “राजा रामचन्द्र की जय”
8- राजपूताना राइफल्स का आदर्श और सिद्धांत वाक्य “वीर भोग्या वसुंधरा” है, जिसका अर्थ है कि ‘केवल वीर और शक्तिशाली लोग ही इस धरती का उपभोग कर सकते हैं।
9- राजपूताना राइफल्स के ज्यादातर सदस्य अपनी विशेष शैली की मूछों के पूरे विश्व में फेमस हैं।
10-मध्यकालीन राजपूतों का हथियार कटार और बिगुल राजपूत रेजिमेंट का प्रतीक चिन्ह है।